भारत का पहला बायो-हाइड्रोजन प्रोजेक्ट

परियोजना का परिचय

भारत सरकार ने देश का पहला बायो-हाइड्रोजन प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए जेंसोल इंजीनियरिंग (Gensol Engineering) को एक बड़ा ठेका प्रदान किया है। इस परियोजना को मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स (Matrix Gas & Renewables) के साथ साझेदारी में संचालित किया जाएगा। कुल 164 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की जा रही यह परियोजना भारत के **राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन** के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। बायो-वेस्ट से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन कर देश के ऊर्जा क्षेत्र में एक स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल विकल्प को बढ़ावा दिया जा रहा है।

परियोजना के प्रमुख बिंद

इस प्रोजेक्ट की खासियत यह है कि प्रतिदिन 25 टन बायो-वेस्ट को प्रोसेस करके 1 टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए ‘गैसीफिकेशन तकनीक’ का उपयोग किया जाएगा, जो अत्याधुनिक और कारगर है। परियोजना के निर्माण और संचालन का लक्ष्य 18 महीनों के भीतर पूरा किया जाना है, जो इसे तेजी से क्रियान्वित होने वाली परियोजनाओं में से एक बनाता है।

राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से जुड़ाव

यह परियोजना भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत आती है, जिसका उद्देश्य 2030 तक देश में हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाना और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, जो न केवल पारंपरिक ईंधन के मुकाबले कम कार्बन उत्सर्जन करता है, बल्कि इसका उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। इस परियोजना से भारत को अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोजन बाजार में भी अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी।

बायो-वेस्ट से हाइड्रोजन उत्पादन

इस परियोजना के तहत बायो-वेस्ट को मुख्य रूप से उपयोग किया जाएगा, जो पर्यावरण के अनुकूल और सतत विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। गैसीफिकेशन तकनीक से बायो-वेस्ट को उच्च तापमान पर जलाया जाता है, जिससे हाइड्रोजन के साथ अन्य उपयोगी गैसें उत्पन्न होती हैं। यह प्रक्रिया न केवल बायो-वेस्ट का प्रबंधन करती है, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन के रूप में ऊर्जा भी उत्पन्न करती है, जो दीर्घकालिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

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महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान जानकारी

1. ग्रीन हाइड्रोजन: यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न हाइड्रोजन होता है, जिसमें कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता। 
2. गैसीफिकेशन तकनीक: यह प्रक्रिया बायो-वेस्ट या किसी ठोस ईंधन को उच्च तापमान पर जलाकर उपयोगी गैसों में बदलने की तकनीक है। 
3. राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: भारत सरकार ने 2021 में इस मिशन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है। 
4. जेंसोल इंजीनियरिंग: यह एक प्रमुख भारतीय कंपनी है जो अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन परियोजनाओं में विशेषज्ञता रखती है। 
5. मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स: यह कंपनी गैस और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में काम करती है और इस प्रोजेक्ट में जेंसोल इंजीनियरिंग की साझेदार है।

निष्कर्ष

भारत का पहला बायो-हाइड्रोजन प्रोजेक्ट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना न केवल ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि बायो-वेस्ट प्रबंधन में भी सहायता करेगी। जेंसोल इंजीनियरिंग और मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स का यह करार भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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