प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित पहले अंतरराष्ट्रीय सौर उत्सव (International Solar Festival) को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस उत्सव का उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे वैश्विक विकास, नवीन तकनीकों और समाधानों पर चर्चा करना है। साथ ही, सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग और इसके व्यापक लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना भी इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य है।
सौर उत्सव की प्रमुख बातें:
इस तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन दिल्ली के प्रगति मैदान 5-6 सितम्बर तक आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों, सौर ऊर्जा विशेषज्ञों और तकनीकी विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। उत्सव के दौरान सौर ऊर्जा से संबंधित कई सेमिनार, कार्यशालाएं, और प्रदर्शनियाँ आयोजित की गई।
प्रदर्शनी हाइलाइट्स:
- नवीनतम सौर पैनल तकनीकों का प्रदर्शन
- स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की प्रदर्शनी
- घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए सौर उत्पाद
- सौर ऊर्जा से जुड़े उपकरण और नई तकनीकी खोजें
प्रधानमंत्री का संबोधन:
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत तेजी से स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है और आने वाले समय में सौर ऊर्जा न केवल पर्यावरणीय संरक्षण में बल्कि आर्थिक वृद्धि में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के तहत भारत का लक्ष्य सौर ऊर्जा को और व्यापक बनाना है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और भारत के सौर ऊर्जा अभियान की सराहना करते हुए कहा कि भारत सौर ऊर्जा को अपनाने में दुनिया के लिए एक आदर्श बन रहा है। ISA, जिसका मुख्यालय भारत में स्थित है, 110 से अधिक देशों के साथ मिलकर सौर ऊर्जा के वैश्विक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
सौर ऊर्जा का भविष्य:
सौर ऊर्जा के बढ़ते महत्व पर प्रधानमंत्री ने कहा, “सौर ऊर्जा न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह हमारे आर्थिक विकास को भी गति प्रदान कर रही है। आने वाले समय में भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरेगा।” उन्होंने सौर ऊर्जा के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इस उत्सव के माध्यम से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान किया गया है, जो न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA)
स्थापना और उद्देश्य:
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे 30 नवम्बर 2015 को पेरिस में हुए COP21 जलवायु सम्मेलन के दौरान भारत और फ्रांस की पहल पर लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना और सदस्य देशों को सस्ती, स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करना है।
ISA का मुख्यालय भारत के गुरुग्राम, हरियाणा में स्थित है। यह संगठन सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने और इसके लाभों को साझा करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है। ISA का लक्ष्य 2030 तक 1,000 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा स्थापित करना और 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सौर ऊर्जा निवेश को बढ़ावा देना है।
मुख्य उद्देश्य:
- सौर ऊर्जा को अधिक किफायती और सुगम बनाना।
- सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
- तकनीकी नवाचार और वित्तीय संसाधनों के माध्यम से सौर परियोजनाओं को गति देना।
- सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए वैश्विक सहयोग और साझेदारी को प्रोत्साहित करना।
सदस्यता:
ISA का लक्ष्य सौर-समृद्ध देशों को एक मंच पर लाना है, खासतौर पर उन देशों को जो कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। हालाँकि, अब यह गठबंधन सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के लिए खुला है। वर्तमान में ISA के 110 से अधिक सदस्य देश हैं, जिनमें अफ्रीका, एशिया, यूरोप और लैटिन अमेरिका के देश शामिल हैं।
महत्वपूर्ण पहल:
- अफोर्डेबल सोलर पावर फॉर ऑल: इस योजना का लक्ष्य सभी देशों के लिए सस्ती सौर ऊर्जा सुनिश्चित करना है।
- स्केलिंग सोलर एप्लीकेशंस फॉर एग्रीकल्चर: कृषि के लिए सौर ऊर्जा को अपनाने के तरीकों पर जोर देना।
- स्केलिंग सोलर मिनी-ग्रिड्स: ग्रामीण और दूर-दराज़ के इलाकों में मिनी सोलर ग्रिड के माध्यम से बिजली पहुंचाना।
- सोलर ई-मोबिलिटी: सौर ऊर्जा का उपयोग कर परिवहन को स्वच्छ बनाना।
ISA का महत्व:
ISA सौर ऊर्जा को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने का काम कर रहा है, जिससे न केवल सदस्य देशों को ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होगा। यह संगठन उन देशों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों की ओर बढ़ना चाहते हैं।
ISA वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत ने इस पहल में नेतृत्व दिखाते हुए विश्वभर में सौर ऊर्जा की व्यापकता को बढ़ाने में योगदान दिया है।