केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की कि अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी, पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजय पुरम’ किया जाएगा। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में औपनिवेशिक नामों को हटाने और देश की संस्कृति व स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की योजना का हिस्सा है।
औपनिवेशिक नामों से मुक्ति का प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि औपनिवेशिक युग के दौरान रखे गए नामों को बदलना भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को पुनः स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस संदर्भ में पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजय पुरम’ किया जाना, एक बड़ा प्रतीकात्मक कदम है, जिससे भारतीय सभ्यता और गौरव को मान्यता मिलेगी।
अमित शाह ने बताया कि यह बदलाव भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसकी गहरी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करने की दिशा में एक कदम है। इससे पूर्व भी केंद्र सरकार ने कई स्थानों के नाम बदले हैं, जो औपनिवेशिक युग की धरोहरों का प्रतीक थे। इस तरह के नाम बदलने से राष्ट्रीय अस्मिता को नया आयाम मिलता है और भारतीय इतिहास को सही रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है।
पोर्ट ब्लेयर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
पोर्ट ब्लेयर का ऐतिहासिक महत्व
पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी है। यह शहर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, विशेषकर कुख्यात सेलुलर जेल (कालापानी) के लिए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को इसी जेल में बंद किया गया था। यह स्थान भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
भौगोलिक स्थिति
अंडमान सागर के किनारे स्थित पोर्ट ब्लेयर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी मशहूर है। यह शहर देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ से आसपास के द्वीपों तक पहुँचना आसान होता है, जिससे यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।
अर्थव्यवस्था और पर्यटन
पोर्ट ब्लेयर का प्रमुख आर्थिक स्रोत पर्यटन है। हर साल हजारों पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, साफ समुद्र तट और ऐतिहासिक स्थलों को देखने आते हैं। इसके साथ ही मछलीपालन और कृषि भी यहाँ के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
श्री विजय पुरम: भारत की सांस्कृतिक पुनर्स्थापना का प्रतीक
पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजय पुरम’ किया जाना भारत की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह बदलाव भारत के उस गौरवशाली अतीत को फिर से जीवित करने का प्रतीक है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
इस प्रकार, यह निर्णय न केवल औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्ति की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि भारत की संस्कृति, धरोहर और स्वतंत्रता का सम्मान भी है।
भारत में हाल ही में हुए महत्वपूर्ण नाम परिवर्तन:
- मुगलसराय जंक्शन → पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन
उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर भारतीय जनसंघ के नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया। - इलाहाबाद → प्रयागराज
2018 में, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया, जो हिंदू धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। - फैज़ाबाद → अयोध्या
2018 में ही उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया, जो भगवान राम की जन्मभूमि मानी जाती है। - हावड़ा ब्रिज → रबींद्र सेतु
कोलकाता के प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज का नाम बदलकर नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रबींद्रनाथ ठाकुर के नाम पर रबींद्र सेतु रखा गया। - अलीगढ़ → हरिगढ़
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अलीगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव सामने आया था, जो जल्द ही हरिगढ़ हो सकता है। - हबीबगंज रेलवे स्टेशन → रानी कमलापति स्टेशन
भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया, जो मध्य प्रदेश की गोंड वंश की वीरांगना थीं। - कोलकाता → कोलकाता (पूर्व: कलकत्ता)
2001 में पश्चिम बंगाल की राजधानी का नाम अंग्रेजी ‘Calcutta’ से बदलकर स्थानीय उच्चारण ‘Kolkata’ कर दिया गया। - गोरखपुर एयरपोर्ट → महायोगी गोरखनाथ एयरपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर एयरपोर्ट का नाम बदलकर महायोगी गोरखनाथ के नाम पर किया गया, जो गोरखपुर क्षेत्र के महापुरुष थे। - राजीव गांधी एयरपोर्ट, हैदराबाद → एनटीआर एयरपोर्ट
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव के सम्मान में हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम बदलकर एनटीआर एयरपोर्ट किया गया।
ये सभी नाम परिवर्तन भारतीय संस्कृति और इतिहास के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को पुनर्स्थापित करने और औपनिवेशिक प्रभावों से मुक्त होने के उद्देश्य से किए गए हैं।