भारतीय शास्त्रीय नृत्य की महान नृत्यांगना, यामिनी कृष्णमूर्ति का 83 वर्ष की आयु में 3 अगस्त को निधन हो गया। उन्हें न केवल उनकी कुचिपुड़ी और भरतनाट्यम के लिए जाना जाता था, बल्कि उनकी उत्कृष्टता के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मानों से नवाजा गया। यामिनी कृष्णमूर्ति ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और आज भी उनकी कला और उनके प्रति समर्पण दुनिया भर के नर्तकों और कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। उनका जीवन और योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
प्रमुख सम्मान और उपलब्धियाँ
यामिनी कृष्णमूर्ति को 1968 में पद्म श्री, 2001 में पद्म भूषण, और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, 1977 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला। यह दिखाता है कि उनकी कला के प्रति समर्पण और उत्कृष्टता को देश और दुनिया ने व्यापक रूप से सराहा।
संबंधित जानकारी
- भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी: यामिनी कृष्णमूर्ति ने दो प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों, भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी, में विशेषज्ञता हासिल की। भरतनाट्यम तमिलनाडु से और कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश से संबंधित है।
- संगीत नाटक अकादमी: 1953 में स्थापित, यह अकादमी भारत की राष्ट्रीय स्तर की कला संस्था है, जो शास्त्रीय संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए कलाकारों को सम्मानित करती है।
- पद्म पुरस्कार: भारत सरकार द्वारा नागरिकों को दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की तीन श्रेणियां हैं: पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण। यामिनी कृष्णमूर्ति को इन तीनों श्रेणियों में सम्मान प्राप्त हुआ था, जो उनके असाधारण योगदान को दर्शाता है।