भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति: गुजरात में ₹3,300 करोड़ की चिप असेंबली फैक्ट्री को मंजूरी

भारत सरकार ने गुजरात के साणंद में काइन्स सेमिकॉन द्वारा ₹3,300 करोड़ की लागत से चिप असेंबली और टेस्टिंग (OSAT) प्लांट स्थापित करने की मंजूरी दी है। यह परियोजना भारत के ₹76,000 करोड़ के सेमीकंडक्टर निर्माण प्रोत्साहन योजना का हिस्सा है, जिससे भारत को एक वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।


गुजरात में काइन्स सेमिकॉन का यह प्लांट भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल तकनीकी क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

परियोजना का महत्व:

यह प्लांट प्रतिदिन 60 लाख चिप्स का उत्पादन करेगा, जो औद्योगिक, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहनों, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, और मोबाइल फोन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किए जाएंगे। इस परियोजना को सफल बनाने के लिए सरकार की ओर से लगभग ₹1,300 करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी।

सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की प्रगति:

भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें से कुछ प्रमुख परियोजनाएँ हैं:

  1. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पावरचिप का फेब्रिकेशन प्लांट:
    इस $11 बिलियन की परियोजना में ताइवान की पावरचिप के साथ टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का सहयोग है, जो भारत के सेमीकंडक्टर उत्पादन में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है।
  2. माइक्रोन टेक्नोलॉजी और मुरुगप्पा ग्रुप के असेंबली प्लांट्स:
    ये प्लांट्स गुजरात और तमिलनाडु में स्थापित किए जा रहे हैं और इनमें जापान की रेनेसस कंपनी का भी सहयोग है।
  3. भविष्य की परियोजनाएँ:
    इज़राइल की टावर सेमिकंडक्टर द्वारा प्रस्तावित ₹78,000 करोड़ का फेब्रिकेशन प्लांट और जोहो द्वारा ₹4,000 करोड़ का असेंबली प्लांट भी आगामी योजनाओं का हिस्सा हैं। इनसे भारत की सेमीकंडक्टर क्षमता को और मजबूती मिलेगी।

सरकारी प्रोत्साहन योजना का दूसरा चरण:

सरकार अब सेमीकंडक्टर प्रोत्साहन योजना के दूसरे चरण की योजना बना रही है, जिसमें कुल निवेश को $15 बिलियन तक बढ़ाने, कच्चे माल और गैसों के लिए पूंजी समर्थन देने, और असेंबली और टेस्टिंग प्लांट्स के लिए सब्सिडी को कम करने की योजना शामिल है। नए चरण में माइक्रो-एलईडी डिस्प्ले के निर्माण को भी प्रोत्साहन देने पर विचार किया जा रहा है।

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