2D सामग्री के साथ कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में क्रांति: करेंट अफेयर्स

कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति देखी गई है, और इसमें 2D सामग्री (द्वि-आयामी सामग्री) का योगदान उल्लेखनीय है। पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहली बार 2D सामग्री का उपयोग करके एक CMOS (Complementary Metal-Oxide Semiconductor) कंप्यूटर विकसित किया है, जो सिलिकॉन पर आधारित नहीं है। यह उपलब्धि इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, क्योंकि यह पतले, तेज और ऊर्जा-कुशल उपकरणों का मार्ग प्रशस्त करती है।

2D सामग्री क्या हैं?

2D सामग्री ऐसी सामग्री हैं जो केवल एक परमाणु की मोटाई वाली होती हैं और इस स्केल पर भी अपनी विशेषताओं को बनाए रखती हैं। सिलिकॉन के विपरीत, जो छोटे आकारों में प्रदर्शन खो देता है, 2D सामग्री जैसे मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड और टंगस्टन डाइसेलेनाइड उत्कृष्ट इलेक्ट्रॉनिक गुण प्रदान करते हैं। इनका उपयोग n-टाइप और p-टाइप ट्रांजिस्टर बनाने में किया गया है, जो CMOS प्रौद्योगिकी का आधार हैं। यह तकनीक स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे उपकरणों में महत्वपूर्ण है।

उपलब्धि का महत्व

यह पहली बार है जब शोधकर्ताओं ने 2D सामग्री का उपयोग करके एक पूर्ण कार्यात्मक CMOS कंप्यूटर बनाया है। यह तकनीक सिलिकॉन-आधारित ट्रांजिस्टरों की सीमाओं को पार करती है, जो 10 नैनोमीटर से छोटे होने पर प्रदर्शन में कमी दिखाते हैं। 2D सामग्री से बने ट्रांजिस्टर न केवल छोटे हैं, बल्कि अधिक कुशल और तेज भी हैं। यह तकनीक भविष्य में छोटे चिप्स और ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक्स के विकास को बढ़ावा दे सकती है।

भारत में 2D सामग्री पर शोध

भारत भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 2D सामग्री पर शोध को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के वैज्ञानिकों ने सरकार से आंगस्ट्रॉम-स्केल चिप्स विकसित करने के लिए 500 करोड़ रुपये की मांग की है। यह तकनीक वर्तमान चिप्स की तुलना में 10 गुना छोटे चिप्स का निर्माण संभव बना सकती है, जिससे भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सकता है।

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भविष्य की संभावनाएं

2D सामग्री का उपयोग न केवल कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में, बल्कि न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग, क्वांटम प्रौद्योगिकी और फोटोनिक्स जैसे क्षेत्रों में भी क्रांति ला सकता है। यह तकनीक ऊर्जा भंडारण, मेडिकल डिवाइस और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अनुप्रयोगों में भी योगदान दे सकती है। भारत में बेंगलुरु ने 2023 में 2D सामग्री और ग्राफीन पर पहली प्रमुख कॉन्फ्रेंस की मेजबानी की, जो इस क्षेत्र में देश की बढ़ती रुचि को दर्शाता है।

निष्कर्ष

2D सामग्री के साथ कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में हुई यह प्रगति न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भविष्य की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह तकनीक भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में एक मजबूत स्थिति प्रदान कर सकती है, बशर्ते शोध और विकास में निवेश बढ़ाया जाए।

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