अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) की स्थापना 1978 में द्वीपों के आर्थिक विकास को गति देने के लिए की गई थी। यह संगठन पर्यटन, कृषि और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में काम कर रहा है। ANIIDCO कई इको-टूरिज्म परियोजनाओं का संचालन करता है ताकि द्वीपों की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित किया जा सके, साथ ही स्थानीय व्यवसायों को भी प्रोत्साहन मिल सके।
ग्रेट निकोबार पर बुनियादी ढांचा परियोजना
ANIIDCO वर्तमान में ग्रेट निकोबार द्वीप पर एक बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना का नेतृत्व कर रहा है, जिसकी अनुमानित लागत ₹72,000 करोड़ है। इस परियोजना के तहत ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट, एक नया हवाई अड्डा, पर्यटन सुविधाएं और सौर एवं गैस आधारित ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना से क्षेत्र में विकास की संभावनाएँ हैं, लेकिन पर्यावरण सुरक्षा को लेकर चिंताएँ भी जताई जा रही हैं।
ANIIDCO की वित्तीय स्थिति और प्रबंधन क्षमता
ANIIDCO का हाल के वर्षों में वार्षिक औसत राजस्व ₹370 करोड़ और मुनाफा ₹35 करोड़ रहा है। इसके बावजूद, कई विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि क्या ANIIDCO इस विशाल परियोजना को संभालने के लिए पर्याप्त संसाधन और कौशल रखता है।
पर्यावरणीय सुरक्षा और प्रबंधन की चुनौतियाँ
2021 में, विशेषज्ञों की एक समिति ने ANIIDCO की पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को लेकर सवाल उठाए थे। उस समय ANIIDCO के पास कोई स्पष्ट पर्यावरण नीति नहीं थी, फिर भी 2022 में इसे पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई। इस मंजूरी को लेकर पर्यवेक्षण की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए गए हैं।
प्रबंधन में हितों का टकराव
ANIIDCO पर आरोप लगाए गए हैं कि परियोजना के दौरान हितों का टकराव हो सकता है, क्योंकि इसका नेतृत्व करने वाले अधिकारी पर्यावरण विभाग से भी जुड़े थे। इस वजह से पर्यावरणीय आकलन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं।
विशेषज्ञों की राय और संगठनात्मक सुधार की आवश्यकता
पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने ANIIDCO की प्रबंधन क्षमता पर चिंता व्यक्त की है। कुछ ने सुझाव दिया कि परियोजना के लिए बाहरी विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए, जबकि अन्य ने संगठन के पुनर्गठन की सलाह दी है ताकि यह बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाओं को बेहतर ढंग से संचालित कर सके।