तरंग शक्ति: भारतीय वायुसेना का पहला बहुपक्षीय अभ्यास

भारत ने अपने पहले बहुपक्षीय वायुसेना युद्धाभ्यास तरंग शक्ति की शुरुआत की है, जो देश की रक्षा साझेदारियों को एक नया आयाम देने वाला है। भारतीय वायुसेना (IAF) द्वारा आयोजित इस अभ्यास में कई देशों की वायुसेनाएं हिस्सा ले रही हैं। यह अभ्यास दो चरणों में हो रहा है—पहला चरण तमिलनाडु के सुलूर में संपन्न हुआ, जबकि दूसरा चरण 29 अगस्त से 14 सितंबर 2024 तक जोधपुर, राजस्थान में आयोजित किया जा रहा है।

इस अभूतपूर्व अभ्यास में 51 देशों की वायुसेनाओं को आमंत्रित किया गया है, जिनमें से 10 देशों ने अपने लड़ाकू विमानों के साथ भाग लिया है। इसमें जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम की वायुसेनाएं अपने लड़ाकू विमानों जैसे Eurofighter Typhoon और Rafale के साथ शामिल हुईं। भारत की ओर से स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान HAL Tejas, Sukhoi Su-30MKI और Rafale ने भाग लिया, जो देश की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन करते हैं।

प्रमुख गतिविधियाँ:

  • जर्मनी पहली बार भारतीय धरती पर किसी वायुसेना अभ्यास में भाग ले रहा है, जहां उसके Eurofighter Typhoon ने युद्धाभ्यास किया।
  • इस युद्धाभ्यास में भारतीय हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर Prachand, हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर (LUH), और IAF के Sarang हेलीकॉप्टरों की टीम ने भी अपनी हवाई क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
  • फ्रांस और जर्मनी के प्रमुख अधिकारियों ने भी भारतीय वायुसेना के विमान Tejas और Sukhoi में उड़ान भरकर इस अभ्यास का हिस्सा बने।

यह युद्धाभ्यास न केवल भारत की सैन्य क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर रक्षा साझेदारियों को मजबूत करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। विभिन्न देशों की वायुसेनाओं के बीच सहयोग, तकनीकी साझेदारी और युद्ध रणनीतियों को लेकर चर्चा हुई, जिससे भविष्य में संयुक्त सैन्य अभियानों की संभावनाएं बढ़ेंगी।

निष्कर्ष:

तरंग शक्ति न केवल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास है, बल्कि यह भारतीय वायुसेना की युद्ध तत्परता और तकनीकी कौशल को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करता है। इसके माध्यम से भारत अपने अंतर्राष्ट्रीय रक्षा साझेदारों के साथ संबंधों को और भी मजबूत कर रहा है।

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