यूरोपीय आयोग के खिलाफ पर्यावरण कार्यकर्ताओं की कानूनी कार्रवाई

पर्यावरण कार्यकर्ताओं, जिनमें Climate Action Network और Global Legal Action Network जैसे समूह शामिल हैं, ने यूरोपीय आयोग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। इन कार्यकर्ताओं का मानना है कि यूरोपीय संघ (EU) की 2030 तक उत्सर्जन को कम करने की मौजूदा योजनाएं पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। पेरिस समझौता वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने का प्रयास करता है, और कार्यकर्ताओं का तर्क है कि EU के लक्ष्य इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को पूरा करने में असफल हो सकते हैं।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है कि EU की अदालतें जांच करेंगी कि क्या EU के जलवायु लक्ष्य पर्याप्त हैं। इससे पहले, यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने कहा था कि देशों को विज्ञान आधारित उत्सर्जन लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए ताकि तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित किया जा सके। इस मामले में यह परखा जाएगा कि क्या EU के लक्ष्य वास्तव में वैज्ञानिक मानकों पर खरे उतरते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक मापदंडों को पूरा करते हैं।

अब तक उठाए गए कानूनी कदम

23 अगस्त, 2024 को दो गैर-लाभकारी संगठनों ने यूरोपीय आयोग से अपनी वार्षिक उत्सर्जन आवंटन (Annual Emissions Allocations – AEA) की समीक्षा करने का अनुरोध किया था, जो प्रत्येक EU सदस्य राज्य के लिए निर्धारित उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य हैं। जब आयोग ने 14 दिसंबर, 2023 को उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, तो NGOs ने 27 फरवरी, 2024 को इस मामले को EU अदालत में ले जाने का निर्णय लिया। अदालत ने जलवायु संकट की तात्कालिकता को देखते हुए इस मामले को उच्च प्राथमिकता दी है, और 2025 में सुनवाई की योजना है।

उत्सर्जन लक्ष्य और नियम

वार्षिक उत्सर्जन आवंटन (AEA) EU के प्रयास-साझाकरण नियम (Effort-Sharing Regulation) का हिस्सा हैं, जो 2030 तक प्रत्येक EU देश को एक विशिष्ट मात्रा में उत्सर्जन कम करने की आवश्यकता करता है। इसमें परिवहन, भवन और कृषि जैसे क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि, कार्यकर्ताओं का तर्क है कि इन लक्ष्यों का वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से पूरी तरह से मूल्यांकन नहीं किया गया है, और वे चिंतित हैं कि ये लक्ष्य जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे।

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अपर्याप्त लक्ष्यों के परिणाम

कार्यकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान EU उत्सर्जन लक्ष्य, यदि अन्य देश भी इसी प्रकार के कमजोर प्रयासों का पालन करते हैं, तो 2100 तक वैश्विक तापमान में 3°C की वृद्धि हो सकती है। इस स्तर की तापमान वृद्धि ग्रह के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है। इससे बचने के लिए, कार्यकर्ता 2030 तक उत्सर्जन में 65% की कटौती करने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह आवश्यक है ताकि EU जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक नेता बना रहे।

यदि कार्यकर्ता इस मामले में जीत जाते हैं, तो EU को अधिक महत्वाकांक्षी उत्सर्जन लक्ष्य निर्धारित करने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इससे EU के अपने पर्यावरण कानूनों के साथ-साथ वैश्विक जलवायु समझौतों के तहत उसकी प्रतिबद्धताओं को भी मजबूत किया जा सकेगा।

यूरोपीय संघ के बारे में

यूरोपीय संघ (EU) की शुरुआत 1951 में यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय के रूप में हुई थी और तब से यह 27 सदस्य देशों के संघ के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें 447 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं। इनमें से 19 देशों में यूरो आधिकारिक मुद्रा है। शेंगेन क्षेत्र के तहत लोग 26 देशों के बीच बिना पासपोर्ट के यात्रा कर सकते हैं। EU ने मास्ट्रिच और लिस्बन संधियों जैसे महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं और 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह Erasmus+ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी समर्थन करता है।

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